वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की और उन्हें अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों को निर्धारित मानदंडों के तहत हर संभव रिण सहायता देने का निर्देश दिया ताकि कोरोना वायरस महामारी और उसकी रोकथाम के लिये जारी ‘लॉकडाउन’ (बंद) के प्रभाव से निपटने में मदद मिले।
सूत्रों के अनुसार समीक्षा बैठक सोमवार वीडियो कांफ्रेन्स के जरिये हुई। इसमें देशव्यापी बंद के दौरान बैंकों के कामकाज की समीक्षा के साथ नकदी की स्थिति का जायजा लिया गया।
मंत्रालय ने बैंकों से बंद के बाद की अवधि के लिये रणनीति तैयार करने और भविष्य की चुनौतियों से निपटन के लिये तैयार रहने को कहा है।
करीब दो घंटे चली बैठक में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों और दिहाड़ी मजदूरों की देशव्यापी बंद के दौरान मदद के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये दी गयी वित्तीय सहायता का जायजा लिया गया।
सूत्रों के अनुसार बैठक में यह बात दोहरायी गयी कि बैंकों को नकद उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि ग्राहकों की मांग को पूरा किया जा सके।
बैठक में बंद के कारण संपत्ति के खराब होने की स्थिति पर भी विचार किया गया।
सूत्रों के अनुसार बैंकों ने कहा कि कर्ज लौटाने में चूक बढ़ने का जोखिम है लेकिन जबतक स्थिति सामान्य नहीं होती, आकलन करना कठिन है।
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