रायपुर(सुयश भट्ट) . छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का निधन, बेटे अमित जोगी ने जानकारी दी। 4 साल के अजीत जोगी लंबे समय से चल रहे थे। वह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री रहे। उनका राजनीतिक जीवन हमेशा विवादों में रहा। अपने आखिरी वक्त में भी विवादों ने वास्ता रहा। वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सबसे खास लोगों में रहे। वह एक आईएएस अफसर और लंबे समय तक मध्यप्रदेश के इंदौर में कलेक्टर भी रहे। उन्होंने मध्यप्रदेश की प्राशसनिक पद पर कई भूमिका निभाई।
विवादों से नाता
छत्तीसगढ़ बनने के पूर्व वहां बने कोडार बांध के निर्माण में हुए 250 करोड़ के घोटाले में अजीत जोगी का नाम उछला था।
मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के खास होने के नाते उन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्व. अर्जुन सिंह तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.इंदिरा गांधी के करीब थे
राजनीति में एंट्री
- अर्जुन सिंह बड़नगर के कद्दावर नेता सवाई सिंह सिसोदिया के कारण मालवा में अपनी सक्रिय राजनीति नहीं कर पा रहे थे।
- अर्जुन सिंह ने अजीत जोगी पर दांव लगाया और उन्हें राजनीति में आने के लिए मना लिया।
उन्हें प्राशसनिक सेवा से मुक्त कराकर, राज्यसभा सांसद भेजा। - इंदौर कलेक्टर रहते हुए उन्होंने कार की सवारी नहीं की और घोड़े पर सवार होकर जाते थे।
- इससे पहली बार जनता का उन्होंने अपनी तरफ ध्यान खींचा।
- वह घोड़े पर सवार होकर शहर का जायजा लेते थे।
- उन्होंने पर इंदिरा गांधी के सचिव जार्ज से करीबी बढ़ाई।
- इसके बाद मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग करने रास्ता साफ किया।
- छत्तीसगढ़ बनने की कवायद के बीच उन्होंने अर्जुन सिंह से दूरी बना ली।
- उस समय विद्याचरण शुक्ल मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे।
- अजीत जोगी के मुख्यमंत्री बनाने में दिग्विजय सिंह की मुख्य भूमिका थी।
- कहते हैं उस समय दिग्विजय सिंह, गुलाम नबी आजाद और एक महिला नेता विद्याचरण शुक्ल को मनाने पहुंचे थे, साथ ही जोगी को मुख्यमंत्री बनाने पर स्वीकार्य चाहिए था।
- इन सभी के विद्याचरण शुक्ल के बंगले पर पहुंचते ही हजारों कार्यकर्ताओं ने विरोध किया था।
- तीनों नेताओं के साथ हाथापाई हुई थी। मारपीट के दौरान दिग्विजय सिंह का चश्मा टूट गया था।
- इस दौरान विद्याचरण शुक्ल तीनों नेताओं को कार्यकर्ताओं से बचाकर बंगले में ले गए।
बेटी की मौत बनी चर्चा
इंदौर कलेक्टर रहते हुए उनकी पुत्री की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत भी विवादों में रही। उस समय प्रेम प्रसंग चलते जान देने की बात खूब चली थी। मुख्यमंत्री बनते ही अजीत जोगी ने अपनी पुत्री के शव को इंदौर से निकलवाकर छत्तीसगढ़ में नई कब्र बनाकर दफन करवाया। जोगी कभी नहीं चाहते थे कि उनके जिंदा रहते बेटी की संदिग्ध मौत की दोबारा जांच की जाए।
प्राशसनिक और राजनीतिक जीवन
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। इसके बाद वह अध्यापक बने। फिर आई.पी.एस. के रूप में अपनी सेवाएं दी। इसके बाद प्रशासनिक सेवा में चुने गए। इंदौर, रायपुर कई जगह के कलेक्टर रहे। इसके बाद राजनीति में विधायक और सांसद की भूमिका भी निभाई। 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के साथ ही उनका पहला मुख्यमंत्री बनना तय हो गया था। वह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री थे।