मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने IT रूल्स को खारिज कर दिया। अब केंद्र सरकार को सरकारी कामकाज के बारे में फैक्ट चेक यूनिट बनाने का अधिकार नहीं रहेगा।
सरकार ने किया था संशोधन: केंद्र सरकार ने 2023 में संशोधन करके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने कामकाज से संबंधित ‘फर्जी और भ्रामक’ सूचनाओं की पहचान करने और उन्हें खारिज करने का अधिकार दिया था।
सुनवाई में क्या हुआ: जस्टिस अतुल चंद्रूकर की टाई-ब्रेकर बेंच ने माना: 'संशोधन संविधान की कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) और भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी (अनुच्छेद 19) की गारंटी का उल्लंघन करते हैं।'
इन्होंने लगाई थी याचिका: बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, एसोसिएशन ऑफ इंडियन मैगजीन और न्यूज ब्रॉडकास्ट एंड डिजिटल एसोसिएशन की ओर से दायर चार याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।
याचिका में दिए तर्क क्या थे: पिछले साल अप्रैल में दायर याचिकाओं में तर्क दिया गया था, ये संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 की शक्तियों से परे हैं।
ये समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और संविधान के किसी भी पेशे को करने की आजादी का उल्लंघन करते हैं।
2023 में, केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधन किया था।
नियम 3 के जरिये केंद्र सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट बनाने का अधिकार दिया था।