सुहृद तिवारी. कोरोना से प्रदेश में बिगड़ते हालातों की जिम्मेदारी लें भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधियाकोरोना के बढ़ते प्रकोप से पूरा प्रदेश परेशान है। प्रदेश के दो प्रमुख शहर इंदौर और भोपाल में हालात दिन-प्रतिदिन हालात बेकाबू होते जा रहे है। इसके लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष, दोनो रुप से भाजपा नेता ज्यातिरादित्य सिंधिया जिम्मेदार हैं। मध्यप्रदेश इस समय देश का एकलौता ऐसा राज्य है जहां न तो स्वास्थ मंत्री है और न ही मंत्रिमंडल का गठन हुआ है। जिसके कारण प्रदेश सरकार कोरोना को रोकने में पूरी तरह नाकामयाब हुई है।
जिम्मेदारी लें ज्यातिरादित्य सिंधिया ?
पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 9 मार्च का अपना इस्तीफा 10 मार्च को ट्विटर के माध्यम से सार्वजनिक किया। इसके पहले ही सिंधिया खेमे के 22 विधायक मध्यप्रदेश से निकालकर कर्नाटक पहुंच गए थे जिसमें 6 मंत्री भी शामिल थे। स्वास्थ मंत्री तुलसीराम सिलावट भी इसी दल में मौजूद थे। उस समय तक देश में कोरोना के 39 मरीज सामने आ चुके थे और दुनिया भर में 1 लाख से ज्यादा लोग कोरोना की चपेट में आ चुके थे। ऐसे में 20 मार्च तक चले इस घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गवर्नर के समक्ष अपना इस्तीफा दे दिया।
इस्तीफे के अगले ही दिन प्रधानमंत्री मोदी ने 'जनता कर्फ्यू' का ऐलान कर दिया लेकिन तब तक मामले 250 पर पहुंच गए थे। वहीं जनता कर्फ्यू के तुरंत बाद सरकार ने 21 दिनों का लॉकडाउन लगा दिया।
ऐसे में इस मारामारी से लड़ने के लिए प्रदेश के पास न तो मजबूत सरकार है और न ही मंत्रिमंडल। ऐसी परिस्तिथियों में स्वास्थ मंत्री का किरदार बहुत अहम होता है।
प्रदेश में बेकाबू होता कोरोना
प्रदेश में कोरोना के मामलों की बात करें तो स्वास्थ्य संचालनालय मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिनांक 10/04/2020 को जारी आंकड़ों के हिसाब से अब तक 451 मामले सामने आ चुके हैं। जिनमें से 33 लोगों की मौत हाे चुकी हैं। जिसमे 2 वरिष्ठ डॉक्टर भी शामिल हैं।
प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के रुप में शिवराज सिंह चौहान ने चुपके चुपके राजभवन जाकर शपथ तो ले ली लेकिन इससे पहले कि वे अपने मंत्रिमंडल का गठन करते केंद्र सरकार ने देशभर में लॉकडाउन कर दिया इसके कारण मंत्रिमंडल गठन की तैयारी धरी की धरी रह गई और अब जब प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और ऐसे वक्त में लॉकडाउन बढ़ाना ही एकमात्र उपाय है तो फिर उन तैयारियों पर ग्रहण लग सकता है।
(लेख में व्यक्त किये गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार है)