सीहोर। लोकसभा चुनाव में अंधे या शिथिलांग मतदाता भी अपने मताधिकार का उपयोग कर सकेंगे। मतदान करने के लिए उन्हें अपने सहायक के तौर पर एक वयस्क व्यक्ति को मतदान कक्ष के भीतर ले जाने की अनुमति होगी, जो उसकी इच्छा के अनुरूप ही उसकी ओर से मत रिकार्ड करेगा।
इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि पीठासीन अधिकारी को यह विश्वास हो जाये कि नेत्रहीनता या अंग शैथिल्य के कारण कोई मतदाता बिना सहायता के मतदान यूनिट के प्रतीकों को पहचानने में या उस पर अपना मत रिकार्ड करने में असमर्थ है तभी वह उस मतदाता को अपनी ओर से और अपनी इच्छानुसार मत रिकार्ड के लिए किसी वयस्क व्यक्ति को मतदान कक्ष में साथ ले जाने की अनुमति देगा।
यह वयस्क साथी 18 वर्ष से कम आयु का नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि नेत्रहीनता और अंग शैथिल्यता के अलावा मतदाता की निरक्षरता उसकी ओर से मत रिकार्ड करने के लिए उसे किसी साथी की सहायता प्रदान करने के लिए कोई पर्याप्त कारण नहीं है ।
नेत्रहीन या शिथिलांग मतदाताओं के साथी के रूप में काम करने वाला व्यक्ति मतदान के दिन केवल एक ही मतदाता के साथ के रूप में ही कार्य कर सकता है। साथी के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति को पीठासीन अधिकारी के समक्ष विहित प्रारूप में इस आशय की घोषणा करनी होगी कि वह मतदाता की ओर से उसके द्वारा रिकार्ड किये गये मत को गुप्त रखेगा और यह कि उसने उस दिन किसी भी मतदान केन्द्र पर किसी अन्य मतदाता के साथी के रूप में कार्य नहीं किया है।
निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो अशक्त मतदाता ईवीएम की बैलट यूनिट पर अपनी पसंद के उम्मीदवार की बटन को दबाकर स्वयं मत डालने के लिये सक्षम है, उनको मतदान केंद्र में केवल वोटिंग कम्पार्टमेंट तक प्राधिकृत साथी को ले जाने की अनुमति होगी, न कि वोटिंग कम्पार्टमेंट के अंदर तक।
यह ऐसे मामलों में लागू होगा जहां शारीरिक अशक्तता की प्रकृति ऐसी है कि मतदाता को केवल अपने चलने-फिरने के लिये सहायता की आवश्यकता होती है, न कि मतदान के लिये। पीठासीन अधिकारी को ऐसे मामलों में निर्णय लेना होगा।
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