नई दिल्ली। दिल्ली का मूड जानने के लिए मैं पूरे चौबीस घंटे नई दिल्ली से लेकर पुरानी दिल्ली तक में कई ऑटो से घूमा। लोगों से बात की। मन मिज़ाज समझा। एक बात कॉमन समझ आई। लोग अरविंद केजरीवाल के बड़बोलेपन से ऊब चुके हैं। वे बदलाव चाहते हैं। ऑटो वाले तो कसम खाकर बैठे हैं कि अबकी केजरीवाल को वोट नहीं देना है।
किसे देना है? इस सवाल पर कई ऑटो वाले साफ़ साफ़ कह रहे हैं कि बीजेपी को वोट देंगे क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने ऑटो वालों के लिए कुछ नहीं किया। इसलिए सबक सिखायेंगे। दस साल से ऑटो वाले ही इन्हें सरकार में बिठाए हैं। अब ऑटो वाले ही गद्दी से उतारेंगे!
बिहार के मूल निवासी ऑटो चालक अरविंद यादव ने कहा- “मुझे पता है बीजेपी आएगी तो वो भी कुछ नहीं करेगी क्योंकि सब केवल चुनाव के समय बोलते हैं। पर वोट बीजेपी को देंगे क्योंकि ऑटो वालों की केजरीवाल ने बहुत उपेक्षा की है। नया तो कुछ किया नहीं, उल्टे साठ साल बाद मिलने वाली पेंशन भी बंद कर दी है।”
दिल्ली में बहुत सारे लोग केजरीवाल की शराब पालिसी (एक पर एक फ्री) से खार खाये दिखे। उनके अपने इस पियक्कडी प्रमोशन नीति से कई किस्म के नुकसान में है। परिवार टूटे, सेहत बिगड़ी। ये फैक्टर भी आम आदमी पार्टी के लिए नेगेटिव है।
कुल मिलाकर दिल्ली की लड़ाई में ये समझ में आ रहा कि अरविंद केजरीवाल के लिए सत्ता का रास्ता इस बार बहुत टफ है। बीजेपी गर्दन दबोचने को तैयार है। आम आदमी पार्टी का आधार वोट बैंक ऑटो वाले बुरी तरह नाराज़ बैठे हैं।
(यह लेख वरिष्ठ पत्रकार और Bhadas For Media के संस्थापक यशवंत सिंह जी द्वारा लिखा गया है)
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